सुरेश ध्रुबे – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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सुरेश ध्रुबे की प्रारंभिक रचनाएं उनकी वर्तमान रचना से भिन्‍न हैं। पहले वह बहुत चमकदार रंगों का इस्‍तेमाल करते थे। आजकल वह काले एवं सफेद रंग से पेंटिंग करते हैं जहां रंग के शेड कुछ चित्रों पर ही होती है।

उनकी चित्रकारी की मुख्‍य विषय-वस्‍तु पक्षियों की भिन्‍न-भिन्‍न प्रजातियां हैं। उनकी चित्रकारी में आकाश हमेशा पक्षियों से भरा रहता है। वह पतनगढ़ में अपने बचपन को याद करते हैं जहां वह सैंकड़ों पक्षियां देखते थे। अत्‍यंत कम उम्र से ही वह पक्षियों की भिन्‍न-भिन्‍न प्र‍जातियों की  बहुत ही आसानी से पहचान करते थे। उनका कहना है कि यह क्षमता कोई विशिष्‍ट क्षमता नहीं है, उनका कहना है कि गांव के बच्‍चे किसी पक्षी को उसकी चहचहाहट से बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। कई बार सुरेश ध्रुबे बड़ी संख्‍या में पक्षियों को वापस घर जाते हुए प्रदर्शित करते हैं। वह तब बहुत छोटे थे जब उन्‍होंने अपने माता और पिता दोनों को खो दिया था और उस अर्थ में उनका घर उजड़ गया। जंगढ श्‍याम की माता जो उनकी चाची थी, उन्‍हें भोपाल ले गई और जंगढ ने कला की ओर मानसिक झुकाव को समझते हुए पेंटिंग में उन्‍हें कैरिअर खोजने के लिए प्रेरित किया। भोपाल में सुरेश ध्रुबे ने अपनी पत्‍नी तथा बच्‍चों के साथ अपना ‘घर’ बनाया है।

वह देशभर में अन्‍य गोंड कलाकारों के साथ अपनी पेंटिंग को प्रदर्शित करते रहे हैं किंतु भारत भवन में सन 2007 में आयोजित प्रदर्शनी उनके लिए अत्‍यंत विशिष्‍ट है। जंगढ सिंह श्‍याम के बाद सुरेश ध्रुबे के ही 35 पेंटिंग्‍स को एक एकल कलाकार के रूप में प्रदर्शित किया गया।