प्रेमी बाई – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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video clip of प्रेमी बाई | प्रेमी बाई अपनी पेंटिंग्सज दिखाते हुए | बाइगा गांव के चित्र

प्रेमी बाई शादी-विवाहों तथा अन्‍य उत्‍सवों के मौकों के दौरान गोंड घरों पर बनाए जाने वाले चित्रों डिगना में हमेशा दक्ष रही हैं। बचपन में वह अपनी बहन के साथ कार्य करती थीं और अपने घर की दीवारों तथा फर्श को लेपती थी जिनपर वे विभिन्‍न आकृतियां बनाती थीं। जैसे ही वह बड़ी हुईं, उन्‍हें महसूस हुआ कि उन्‍हें मिट्टी की आकृतियों को बनाने में भी बहुत आनंद आता है। आज वह और उनके पति गरीबा टेकम आईजीआरएमएस में म्‍युजियम ऑफ मैनकाइंड में दिहाड़ी मजदूरों के रूप में कार्य करते हैं जहां एक दीर्घा की पूरी दीवार प्रेमी की पेंटिंग से ढकी हुई है। जब से प्रेमी बाई भोपाल आयी हैं, वह अपनी पेंटिंग के लिए कैनवास और कागज का इस्‍तेमाल करने लगी हैं । वह और उनके पति एक दूसरे को प्रोत्‍साहन देते हैं तथा सहयोग करते हैं ताकि वे दोनों अपनी पुत्रियों का पालन-पोषण करते हुए अपनी चित्रकारी के लिए समय निकालने में समर्थ हो सके।

जब प्रेमी बाई खाली कैनवास के सामने बैठती हैं तो उनका ध्‍यान वापस मांडला जिले में अपने गांव की ओर जाता है जहां उन्‍हें पानी लाने के लिए कुछ दूर चलना पड़ता था। इतना ज्यादा दूर पैदल चलने से वह कई चीज़ों को देखती थीं जैसे चरवाहे मवेशियों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, सभी तरह के जानवर, पक्षी, वृक्ष तथा तालाबों; बाइगा बच्‍चों को खेलते हुए; संगीत वाद्य-यंत्रों जैसे कि गुदुम तथा टिम्‍की की लय के साथ कर्मा नृत्‍य; कोई लड़की खुद पर देवी आने से कैसे व्‍यवहार करती है। इन यादों की अभिव्‍यक्ति उनके कैनवासों पर मिलती है। प्रेमी बाई जल्‍दी सुबह अथवा देर रात्रि में जब उनकी पुत्रियां सोई रहती हैं, तो चित्रकारी करती हैं। रविवार को वह और गरीबा दिन भर चित्रकारी करते हैं ज‍बकि उनकी चार पुत्रियां इस कला को सीखती हुई उनके ईद-गिर्द होती हैं। वर्षा जो कक्षा VI तथा संस्‍कृति जो कक्षा I में पढ़ रही हैं, ने पहले ही चित्रकारी शुरू कर दी है। प्रेमी बाई और गरीबा टेकम अब प्रियंका जो कक्षा IV में है तथा गायत्री जो कक्षा III में है, की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वे भी उनके साथ चित्रकारी करें।