प्यारेलाल व्याम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

वीडियो क्लिप –  लीलर कोठी | प्यारे लाल | छेड़ता पर चंपा बाई | पौराणिक कथा पर शम्पा शाहl

प्‍यारेलाल व्‍याम और उनके पुत्र सुखंडी ने खुली हवा की प्रदर्शनी में माइथोलॉजिकल ट्रेल में जादुई दुनिया का सृजन किया है। पिता और पुत्र ने गीली मिट्टी से निर्मित परंपरागत अन्‍नागार लीलर कोठी पर गोंड की उत्‍पत्ति के पौराणिक व्‍यक्ति: धरती के सृजक बड़ा देव; कौआ, केकड़ा, काकरमल: कीचाकमल केंचुआ; मकड़ी मकड़ामल; वृक्षों तथा मनुष्‍य का चित्रण किया। प्‍यारेलाल इस कहानी को सुनते हुए बड़े हुए तथा  उन्होंने इसे अपने पुत्र सुखंदी को सौंपा और जो अब अपने बच्चों को यह कहानी सुनाते हैं। कहानी में, बड़ादेव ने अपनी छाती पर कीचड़ से एक कौआ बनाया और उसे कुछ मिट्टी लाने के लिए भेजा। कौआ उड़ गया और काकरामल, केकड़े के पंजे पर उतरा और उसे कीचाकमल के गर्दन को तब तक दबाने के लिए अनुदेशित किया जब तक कि वह थूककर मिट्टी न निकाल दे। काकरमल ने वैसा ही किया। कौआ मिट्टी बड़ादेव के पास वापस  ले गया जिन्‍होंने सभी जंतुओं के बीच उन्‍हें यह कहते हुए बांटा कि इसे मकड़ामल द्वारा पानी के ऊपर बुने हुए जाल पर फैला दे और इस प्रकार धरती का सृजन हुआ।

प्‍यारेलाल का कहना है कि इन पौराणिक कथाओं ने हमेशा उनकी रचनात्‍मकता को उभारा है और उनके पास कभी भी अवधारणाओं की कमी नहीं है। प्‍यारेलाल ग्राम सोनपुरी में रहते हैं जहां उनका जन्‍म हुआ था। वह और उनकी पत्‍नी चंपा बाई ने मिट्टी में जादू करते हुए पूरे देश की यात्रा की है। किंतु वह सोपनुरी में सबसे अधिक खुश हैं  और ताजी हवा में सांस ले रहे हैं।