ननकुसिया श्‍याम – मध्य प्रदेश के गोंड कलाकार

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ननकुसिया श्‍याम ने अपने पति जंगढ सिंह श्‍याम से अपनी कला सीखी। आरंभ में वह चित्रकारी अपनाने के लिए अनिच्‍छुक थीं किंतु जंगढ सिंह ने उन्‍हें अपनी चित्रित आकृतियों में रंगों को भरने के लिए प्रोत्‍साहित किया। उसके बाद वह उन्‍हें कुछ चित्र बनाने के लिए कहते थे। उनकी मृत्‍यु होने के बाद और जब वह जंगढ बिना इस संसार से मुकाबला कर रही थीं, उनके चित्रों ने ही उन्‍हें इस कार्य को जारी रखने में मदद की। उनके सचेतन मन के भीतर गहन पैठ बनाई आकृतियों और रंगों ने उन्‍हें समकालीन गोंड चित्रकारी की दुनिया में प्रवेश करने का विश्‍वास प्रदान किया।

ननकुसिया की कला प्रकृति से प्रेरित है और इसके विभिन्‍न रूप उनकी चित्रकारी में पर्याप्‍त रूप से प्रतिबिंबित है। वह सभी तरह के जानवरों के चित्र बनाती हैं जिन्‍हें उन्‍होंने सोनपुरी में बड़ा होते हुए देखा था। उनके तीन बच्‍चों में से मयंक और जापानी ने खुद को पहले ही गोंड कलाकारों के रूप में स्‍थापित कर लिया है। भोपाल में उनका घर हर तरह की रचनात्मकता का केन्द्र बन गया है, और वह पतनगढ़ के कई कलाकारों का दूसरा घर बन गया है।

ननकुसिया श्‍याम भारत भवन में कार्य करती हैं जहां उनके पति के देहांत के बाद उन्‍हें नियुक्त किया गया था। उन्होंने पुफिन बुक्‍स द्वारा बच्‍चों की एक प्रकाशित पुस्‍तक बुलि एंड द टाइगर को चित्रित किया है।

ननकुसिया ने भारत तथा विदेश का विस्‍तृत भ्रमण किया है। उनकी कला की प्रदर्शनी दुबई, जापान, श्रीलंका तथा अन्‍य देशों में की गई है। 2002 में ननकुसिया को मध्‍य प्रदेश हस्‍तशिल्‍प विकास निगम द्वारा एक राज्‍य स्‍तरीय पुरस्‍कार प्रदान किया गया था।