The
Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma
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009 - The Wise Monkey / बुद्धिमान् वानर |
The Monkey King |
हज़ारों साल पहले किसी
वन में एक बुद्धिमान बंदर रहता था। वह हज़ार
बंदरों का राजा भी था। कुछ ही समय के बाद उन लोगों ने एक जलाशय ढूंढ निकाला। प्यासे बंदरों की जलाशय में कूद कर अपनी प्यास बुझाने की आतुरता को देख कर वानरराज ने उन्हें रुकने की चेतावनी दी, क्योंकि वे उस नये स्थान से अनभिज्ञ था। अत: उसने अपने अनुचरों के साथ जलाशय और उसके तटों का सूक्ष्म निरीक्षण व परीक्षण किया। कुछ ही समय बाद उसने कुछ ऐसे पदचिह्मों को देखा जो जलाशय को उन्मुख तो थे मगर जलाशय से बाहर को नहीं लौटे थे। बुद्धिमान् वानर ने तत्काल ही यह निष्कर्ष निकाला कि उस जलाशय में निश्चय ही किसी खतरनाक दैत्य जैसे प्राणी का वास था। जलाशय में दैत्य-वास की सूचना पाकर सारे ही बंदर हताश हो गये। तब बुद्धिमान वानर ने उनकी हिम्मत बंधाते हुए यह कहा कि वे दैत्य के जलाशय से फिर भी अपनी प्यास बुझा सकते हैं क्योंकि जलाशय के चारों ओर बेंत के जंगल थे जिन्हें तोड़कर वे उनकी नली से सुड़क-सुड़क कर पानी पी सकते थे। सारे बंदरों ने ऐसा ही किया और अपनी प्यास बुझा ली। |
जलाशय में रहता दैत्य उन्हें देखता रहा मगर क्योंकि उसकी शक्ति जलाशय तक ही सीमित थी, वह उन बंदरों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सका । प्यास बुझा कर सारे बंदर फिर से अपने वन को लौट गये।
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O nce, there lived a
wise monkey, who was the leader of eighty thousand monkeys. One day,
wandering in a forest they went very far and became very thirsty. So, they
looked for water and eventually found a water-pond surrounded by densely
grown canes. But before the monkeys could jump into the water to quench
their thirst, their leader, the wise monkey, warned them to wait until the
safe drinking was assured, as the place was new for them. So, he made a
circuit and scrutinised the foot-prints around the pond.
There, he noticed that there were some foot-prints, which appeared
to have gone to the water but have not come up again.
So, he inferred that there was a water-ogre living in the lake. The
result of the investigation was very disappointing and frustrating for all
the monkeys. So, the wise monkey then made the suggestion that they could
still drink the water safely by using the canes as straws, as their was a
lavish growth of canes there. So, each monkey picked up one cane and made
it hollow to use it as a straw and drank the water.
Thus, they all quenched their thirst safely by obeying the wise
leader. The
water-ogre, however, appeared but could not harm a single monkey, as he
was not empowered to touch the land. (The
monkey king is identified with the Bodhisatta;
the 80,000 monkeys with his followers; and the ogre with Devadatta).
See
Nalapana Jataka Jataka Pali
No.20. |
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