The Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma
016 -  The Story of the Crows / कौवों की कहानी

वर्षों पहले एक समुद्र में एक नर और एक मादा कौवा मदमस्त हो कर जल-क्रीड़ा कर रहे थे। तभी समुद्र की एक लौटती लहर में कौवी बह गयी, जिसे समुद्र की किसी मछली ने निगल लिया। नर कौवे को इससे बहुत दु:ख हुआ। वह चिल्ला-चिल्ला कर विलाप करने लगा। पल भर में र्तृकड़ों कौवे भी वहाँ आ पहुँचे। जब अन्य कौवों ने उस दु:खद घटना को सुना तो वे भी जोर-जोर से काँव-काँव करने लगे। तभी उन कौवों में एक ने कहा कि कौवे ऐसा विलाप क्यों करे ; वे तो समुद्र से भी ज्यादा शक्तिशाली हैं। क्यों न वे अपनी चोंच से समुद्र के पानी को उठा कर दूर फेंक दें। सारे कौवों ने इस बात को समुचित जाना और अपनी-अपनी चोंचों के समुद्र का पानी भर दूर तट पर छोड़ने लगे। साथ ही वे कौवी की प्रशंसा भी करते जाते। एक कहता," कौवी कितनी सुंदर थी।" दूसरा कहता, "कौवी की आवाज कितनी मीठी थी।" तीसरा कहता, "समुद्र की हिम्मत कैसे हुई कि वह उसे बहा ले जाय"। फिर कोई कहता, "हम लोग समुद्र को सबक सिखला कर ही रहेंगे।" कौवों की बकवास समुद्र-देव को बिल्कुल रास न आयी और उसने एक शक्तिशाली लहर में सभी कौवों को बहा दिया।

O nce, a pair of crows enjoyed the food to their fill and drank liquor.   Soon, they got drunk and started playing and swimming on the surf. Thence, came a mighty wave and swept away the hen crow, who was then gobbled up by a fish.

With the loss of his mate the male crow burst into tears.   He bewailed.    Soon hundreds of crows responded to his cry and assembled there. Upon learning the sad story, the assembled crows condoled and expressed their grief.

Suddenly, one crow remarked,   lo, as we are mightier than the sea, why not we should empty out the sea and save the hen-crow.

Soon, they started emptying out the sea-water with their beaks; and started praising the female crow by saying, How pretty was she!   How sweet was her voice! How elegant was her look ! How dared the sea swept her away? We should teach a lesson to the sea.   Thus, they continued with their nonsense gossip.   The sea-spirit, however, did not enjoy the load of their waffles. So, he sent forth a mighty wave, which made all the crows fly away.

 

See SamuddaKaka-Jataka Jataka Pali No.146

 


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