The Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma
098 -   Sikhi Buddha / शिखि बुद्ध  

Sikhi Buddha on the panel Cave 17, Ajanta  

पालि परम्परा में शिखि बुद्ध बीसवें बुद्ध हैं। इनके पिता का नाम अरुनव और माता का नाम पभावति है। अरुणावती नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ। इनकी पत्नी का नाम सब्बकामा था। इनके अतुल नाम का एक पुत्र था।

इन्होंने हाथी पर सवार होकर गृह-त्याग करने से पूर्व, सात हज़ार वर्षों तक सुछन्दा, गिरि और वेहन के प्रासादों में निवास किया। आठ महीने इन्होंने तपस्या की। बुद्धत्व-प्राप्ति से पूर्व इन्होंने प्रियदस्सी सेट्ठी की पुत्री से खीर ग्रहण की, और अनोमादास्सी द्वारा निर्मित आसन पर ये बैठे। पुण्डरीक (कमल) के वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान-प्राप्ति हुई। मिगचिर उद्यान में इन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया और सुरियावती के निकट एक चम्पक-वृक्ष के नीचे इन्होंने अपने चमत्कार द्वय का प्रदर्शन किया। इनके पट्टशिष्य थे- अभिभू और सम्भव। अखिला (या मखिला) और पदुमा इनकी प्रमुख शिष्याएँ थीं। खेमंकर इनके प्रमुख सेवक थे। सिरिवद्ध और छन्द (या नन्द) इनके मुख्य आश्रयदाता थे तथा चित्ता एवं सुगुत्ता इनकी प्रमुख आश्रयदातृयाँ थीं।

ये सत्तर हज़ार वर्ष जिए और सीलावती के दस्साराम (अस्साराम) में इन्होंने देह-त्याग किया।

इनकी पगड़ी (उन्हिस; संस्कृत- उष्णीष) शिखा (आग की लपट) की भाँति प्रतीत होने से इन्हें शिखि कहा गया।

इस युग में बोधिसत्त का अवतार राजा अरिन्दम के रुप में हुआ और उन्होंने परिभुत्त पर राज्य किया।

 

S ikhi Buddha is the twentieth Buddha as known in the Pali tradition. The name of his father was Arunava and the mother was Pabhavati. The place, where he was born is called Arunavati. The name of his wife was Sabbakama. He had a son named Atula.

He lived in the palaces of Suchanda, Giri and Vehana for seven thousand years until he renounced the house-hold life riding on an elephant. He practised austerities for eight months. Just before the Enlightenment he accepted the milk-rice from Daughter-of-Piyadassi-Setthi; and sat on the seat prepared by Anomadassi. The tree of his Enlightenment was Pundarika (lotus). He delivered his first sermon in the Migachira Park and demonstrated his twin-miracle at a place near Suriyavati under a Champaka tree. Abhibhu and Sambhava were his chief monk disciples; and Akhila (or Makhila) and Paduma were his principal female disciples. His chief attendant was Khemankara. Sirivaddha and Chanda (or Nanda) were his chief male patrons; and Chitta and Sugutta were the chief among the women.

He lived for seventy thousand years and died in Dussarama (Assarama) in Silavati.

He was called Sikhi because his turban ( unhisa ) looked like a sikha (flame).

During his Age the Bodhisatta was born as king Arindama and ruled the kingdom of Paribhutta.

See Sikhi Sutta, Samyutta Nikaya iii.9.

 


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