कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा।
बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है।
सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर रहे थे तो उनके अनुयायियों ने उन्हें उल्लुओं द्वारा अनेक कौवों की संहार की सूचना दी। बुद्ध ने तब यह कथा सुनायी थी।
सृष्टि के प्रथम निर्माण चक्र के तुरंत बाद मनुष्यों ने एक सर्वगुण-सम्पन्न पुरुष को अपना अधिपति बनाया; जानवरों ने सिंह को ; तथा मछलियों ने आनन्द नाम के एक विशाल मत्स्य को। इससे प्रेरित हो कर पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रखा। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने दो बार घोषणा भी की कि उल्लू उनका राजा है किन्तु अभिषेक के ठीक पूर्व जब वे तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे तो कौवे ने काँव-काँव कर उनकी घोषणा का विरोध किया और कहा क्यों ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा था जो देखने से क्रोधी प्रकृति का है और जिसकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांडी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं। कौवे के इस विरोध को उल्लू सहन न कर सका और उसी समय वह उसे मारने के लिए झपटा और उसके पीछे-पीछे भागने लगा। तब पंछियों ने भी सोचा की उल्लू राजा बनने के योग्य नहीं था क्योंकि वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर सकता था। अत: उन्होंने हंस को अपना राजा बनाया।
किन्तु उल्लू और कौवों की शत्रुता तभी से आज तक चलती आ रही है।
Uluka-Jataka,
Mathura
T he
hostility of an owl and a crow is well known down the ages. What is,
however, not known is the traditional animosity of an owl for a crow.
Once, when the Buddha was dwelling in the Jetavana in Savatthi he was
reported the killings of several crows by an owl. In this context, the
Buddha narrated the origin of the animosity between the two species.
During the first cycle
of the creation of the world men assembled and chose a handsome, gracious,
commanding and a perfect man as the king for themselves. The animals, too,
gathered and chose lion as their king. The fishes too chose a large fish
named Ananda as their king. Then all the birds, too, gathered to choose
their king.
In
course of their search, they voted for the owl. Twice they proclaimed,
Here is the bird, who we like. But when the same announcement was
repeated for the third time, the crow made a strong protest against the
proclamation. He cried, Why should an angry-looking owl be made a king,
when there are younger and wiser birds around. The owl even without
looking angrily pops others like the sesamum seeds when thrown on a hot
pot. So, what would happen to us when he be really angry? Cawing these
words the crow flew away and the owl chased him in anger. Since then, the
two are at the loggers head.
The
birds then crowned a goose as their king, who was none other than the
Bodhisatta.
Uluka
Jataka Jataka Pali No. 270
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