The Illustrated Jataka : Other Stories of the Buddha by C.B. Varma

070 - Sama: The Good Son / साम

Sama-Jataka, Sanchi

ब्रह्मलोक के एक देव और एक देवी का जन्म एक बार मनुष्य योनि में हुआ। देव-पुत्र का नाम दुकुलक तथा देव-पुत्री का नाम पारिका था। दोनों के माता-पिता में पारिवारिक मित्रता थी अत: जब दोनों बड़े हुए तो परिवार वालों ने उनका विवाह करा दिया।

चूँकि दोनों सत्व देव-लोक-वासी थे अत: विवाहोपरान्त भी दोनों में कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं हुआ। फिर भी देव लोक के राजा सक्क (शक्र ; इन्द्र) की प्रेरणा से दुकुलक ने एक दिन पारिका की नाभि का स्पर्श किया। परिणामत: पारिका ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम साम रखा गया।

एक दिन पति-पत्नी जब एक वन में घूम रहे थे तो तेज वर्षा आरम्भ हुई। उन्होंने एक पेड़ के नीचे शरण ली और बारिश से अपने बचाव करना चाहा। किन्तु उनके शरीर और वस्र से रिसते पानी से एक भयंकर विषधर साँप भीगने लगा जो उनके पैरों के नीचे चीटियों के एक बिल में निवास का रहा था। वृद्ध साँप ने तब एक भयंकर उच्छ्वास छोड़ा। उसके उच्छ्वास में विद्यमान विष-कण और पानी जब उन दोनों की आँखों में पड़ा तो दोनों की दृष्टि चली गयी।

देर शाम तक जब साम के माता-पिता वापिस घर नहीं लौटे तो वह उन्हें ढूँढता हुआ उसी वन में पहुँचा। थोड़ी देर ढूँढने के बाद उसने उन्हें वन में भटकता पाया। फिर वह उन्हें घर ले आया और तभी से उनकी सेवा-शुश्रुषा करने लगा।

एक बार पिलियक्ख नामक वाराणसी का एक राजा शिकार खेलता उसी वन में पहुँचा, जहाँ साम और उसके माता-पिता रहते थे। उस समय साम पास के जलाशय में अपने वृद्ध माता-पिता के लिए एक घड़े में जल भर रहा था जिसकी आवाज सुन राजा ने सोचा शायद कोई जानवर पानी पी रहा था। शब्द की दिशा में राजा ने एक बाण चलाया जो साम के हृदय को बींध गया। राजा जब घटना-स्थल पर पहुँचा तो साम को दम तोड़ता पाया।

उसी समय राजा के सामने एक यक्षिणी प्रकट हुई जो किसी जन्म में साम की माता थी। उसने राजा को डराते हुए साम के माता पिता को साम की मृत्यु की सूचना देने का आदेश दिया।

राजा ने जब साम के माता-पिता को पुत्र की मृत्यु का समाचार दिया तो उन्होंने बिना विचलित हुए राजा से उन्हें साम के शव के पास ले जाने को कहा। जब माता-पिता साम के मृत शरीर के पास पहुँचे तो यक्षिणी ने सच्चकिरिया द्वारा साम को पुनर्जीवित कर दिया। तत: उसने साम के माता-पिता की आँखों में भी रोशनी लौटा दी।

O nce two beings of Brahma-loka (higher divine world) were born as boy and girl. They were called Dukulaka and Parika, respectively. Their parents were bosom friends. When the two children attained maturity their parents married them. As the two were the beings of higher world they did not indulge in any physical relationship. Detached from the earthly life they lived in a hermitage as ascetics. Nonetheless, persuaded by Sakka Dukulaka touched the navel of Parika at a proper time, which made the latter conceive a baby. The baby was born with golden colour. So, he was given the name of Suvannasama; but was often called Sama.

Once, Samas parents took shelter under a tree when there was heavy rain pour. The water, which dripped from their body fell on a snake living in the ant-hill on which they were standing. This made the snake furious and exhale the venomous breath, which made them blind. Having not found his parents back till late in the evening, Sama himself went outside to look for them; and finally brought them home. Since then he looked after them.

Once Piliyakkha, the king of Varanasi was out on a hunting expedition in the forest around the hermitage. There, he heard the sound of water, which was being drawn by Sama for his parents. Mistaking Sama as a goblin, he shot him with a poisoned arrow. Now, a yakkhini Bahusodari, who happened to be the mother of Sama seven births before, saw Sama being killed, descended and stood in the mid air. She then frightened the king and ordered him to go and inform the blind parents of his misdeed.

Despite the news of the sons death the blind parents remained calm and did not show any resentment. They instead requested the king to escort them to their dead son. After reaching near the body of Sama, Parika performed the Sacchakiriya (Act of Truth) which evaporated the poison and made him well. Then the yakkhini performed the similar kiriya for the blind parents. And the parents, too, were cured and regained their eye-sight.

(Bodhisatta is identified with Sama; Dukuluka with Kassapa; Parika with Bhadda Kapilani; Piliyaka with Ananda; and the yakkhini Bahusodari with Uppalavanna).

 

See Sama Jataka Jataka Pali No.540. See Mahavatthu (ed. Senart 3 vols); Milinda Panha 198 f.


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