IV/
A-2139
पूज्य
पंडित जी,
प्रणाम!
मैं अपना मन्तव्य
भेज रहा हूँ। चावड़ा जी दो एक दिन
के बाद भेजेंगे। बद्री प्रसाद जी ने सुदर्शन
जी के लिये १५रु. भेजने के लिखा है।
बा. मैथिलीशरण जी ने आ सकने में असमर्थता
बताई है। १५रु. मिलने पर आपको भेज
दूँगा। मैंने जो कुछ लिखा है उसे सुधार
लीजियेगा। हमारे "वर्तमान हिंदी
कविता" वाले लेख के लिये दो एक
और पत्र मिले हैं। पत्र लेखक मतभेद
होते हुए भी लेख को पसन्द कर
रहे हैं। पं. दुर्गा प्रसाद जी का प्रणाम
वेभी कहानी वाले लेख के संबंध
मे एक कालम लिखेंगे।
चन्द्रगुप्त जी के
भाषण का कम से कम एक प्रभाव पड़ा
है। मैं कहानी साहित्य का प्रेमी हो
गया हूँ। मैंने इस बीच इस विषय
की समालोचनायें पढ़ी हैं। पर अंग्रेज़ी
समालोचनाओं के समझने के लिए उस
भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासीं और कहानियों
का पढ़ रखना ज़रुरी है। मैंने ऐसा नहीं
किया है। मैं किन्तु पढूँगा। साल दो
साल के बाद कुछ लिख सकूँगा।
वर्मा जी को प्रणाम। उनके भाई
साहब की क्या हालत है? धन्यकुमारजी
को मेरा प्रणाम कहिए।
सोम जी कलकत्ते
में आपसे मिलेंगे। उन्हें मेरे लिये
२ रु. दे दीजियेगा। मैं आपको भेज दूँगा।
आपका
हजारी
प्रसाद